Review of Mai Aur Meri Chai

शीर्षक : मैं और मेरी चाय 

लेखक: ओम शुक्ला 




संक्षेप्त :


“मैं और मेरी चाय” की कहानियाँ हमारी ज़िंदगी की उन यादों काएक हिस्सा है जिसे हम अकसर अकेले होने पे एक कप चाय के साथ जीते हैं! कुछ ऐसी यादें जो हमें कभी गुदगुदाती है, कभी दोस्तों की तरह बतियाती है, कभी ज़ोर- ज़ोर से हँसाती है, तो कभी सबसे नज़र बचाकर आंसूबहाती है. ये हमारा दावा है की आप जब इस किताब को पढ़ेंगे तो एक ही बात कहेंगे, “मैं और मेरी चाय जब मिलते है तो बाते करते है एहसासों की साइकिल पे बैठ, यादों के सफ़र पे निकलते है बीते लम्हों की डायरी के हसीन पन्ने पलटते है” "लेखक के बारे " लड़के की जिन्दगी की जड़े Allahabad से जुड़ी है पर फलाफूला दिल्लीमें है। अब दिल्ली तो दिलवालों की है जी, तो माने कि लड़का मतलबी बिलकुल भी नहीं है। वक़्त सेएंटी रहता है पर वक़्त बदलने की खुद होड़ में रहता है। फुल टाइम Marketing में Job करता है और पार्ट टाइम में Emotions शब्दों में लिखता है, “मैं और मेरी चाय” से पहले, प्यार की एक दास्तां “In Love... Till my Last breath” पब्लिश हो चुकी है। पहली किताब इंग्लिश में लिखने के बाद अब हिंदी में हाथआजमा रहा है। गलती से कभी-कभी न्यूज़ पेपर्स और magazine में आर्टिकल भी लिख लेता है। इनसब से अलग लड़के को Cooking,traveling, eating और reading का शौक भी है। तो किताब पढ़करमिलिए कभी लड़के से… “मैं और मेरी चाय” के साथ बात-वात भी हो जाएगी…



मेरे  विचार : 


एक  कप  चाय  के साथ कुछ महकती हुई , मीठी गुनगुनाती  हुई  कहानियाँ |  मैं और मेरी चाय , ज़िन्दगी के कुछ अदरकी  पल बेहद ही सुनहरा  ताल मेल बिठा के  पाठक को  मनमोहक एहसास  दिलाने में सफल हुई | जितना मनमोहक शीर्षक हे , अंदर मौजूद कहानियाँ उतनी ही रोमांचक हैं | रोज़ की चाय के साथ जैसे कुछ कुरकुरा , चटपटा नाश्ता मिल जाए , तो वो चाय का मज़ा दोगुना कर देते हैं  |  ॐ शुक्ला यह क़िताब उस चटपटे नाश्ते   की ही तरह है , जो चाय के साथ  लेने पर उसका मज़ा दोगुना  करती हैं |


प्रस्तुत लघु कथाए प्रेम के एहसास  से दिल में दस्तक देकर एक आनदमयी  जीवन के एहसास हैं | बहुत ही बार इस तरह के लघु कथाओ के संगठन में कुछ कथाएं फीकी पड़ जाती हैं , परन्तु  इस पुस्तक में शामिल हर एक कथा सामान्य रूप से प्यार एवं ज़िन्दगी के रंग में घुली हुई हैं |   




मूल्यांकन : ४ /5 


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