शीर्षक : सुकून
लेखक : विक्रांत शुक्ला
कहानी का संक्षेप्त :
दुष्यंत के पास सब कुछ था, वो सब जो एक इंसान को जीने के लिए चाहिए| बस अगर कुछ नहीं था तो वो था ‘सुकून’| अपने माता-पिता की अकस्मात मृत्यु के पश्चात उसके पास तो जैसे जीने की वजह ही नहीं बची थी| उसने एक निर्णय लिया, अपनी देह-लीला समाप्त करने का निर्णय| वो बस खुद को ख़त्म ही करने ही वाला था कि उसके एक मित्र ने उसको जीने की वजह दी| दुष्यंत ने आत्महत्या का इरादा त्याग कर अपने मित्र को उसकी परेशानी से निकालने के उद्देश्य से उसके घर जाने का फैसला किया| दुष्यंत को पता भी नहीं था कि वो ‘कुएं से निकल कर खाई में गिरने’ वाली कहावत को चरितार्थ करने निकल पडा है| उसके मित्र देव के साथ हो रही असाधारण घटनाएं किसी भूत-प्रेत से सम्बंधित लग रहीं थीं और हर गुज़रते पल के साथ दुष्यंत उनमें उलझता जा रहा था| शीघ्र ही दुष्यंत एक ऐसे दोराहे पर खड़ा था जहां से आगे बढना उसके लिए लगभग नामुमकिन हो गया| उसका मुकाबला किसी साधारण आत्मा से नहीं था, उसके सामने कर्ण-पिशाचिनी जैसी शक्ति थी और उसको निलवंती ग्रन्थ से जुडी किवदंतियों को भी सुलझाना था| ‘सुकून’ सिर्फ एक उपन्यास नहीं है, यह एक चमत्कारी यात्रा है जो कर्ण-पिशाचिनी से सम्बंधित कई रहस्यों से पर्दा उठाती है| डर और रोमांच हर पन्ने में शब्दों के माध्यम से आपके दिल और दिमाग पर छा जाने वाला है|
मेरे विचार :
सुकून की तलाश मनुष्य को कभी कभी अनोखे पड़ाव पे ला खड़ी करती है ,और न जाने इस चाह में वो क्या कर जाता हैं | यह कहानी भी एक ऐसे ही इंसान की हैं जो जीवन के नोक झोक से परेशान होकर सुकून की तलाश में अपने दोस्त का सहारा लेता हैं | परन्तु सुकून की चाह उसे कुछ इस तरह मिलती है की उसने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा | उसकी सुकून की यात्रा वर्णन ही इस उपन्यास में किया गया है|
यह कहानी एक ऐसी कहानी है जिसे हर एक पाठक सम्बन्ध नहीं सर्जन कर सकता | इस कहानी का सम्पूर्ण लाभ वही उठा सकता है जिसे तंत्र वगैरह में थोड़ा विष्वास हो | परन्तु एक ऐसा पाठक जो इन सब बातो में विश्वास ना करता हो ना कभी पड़ा हो , उसके लिए थोड़ा मुश्किल होगा कहानी में डूबना पूर्ण आनंद लेना | उपन्यास का शीर्षक का चयन निश्चित रूप से उपयुक्त है | शुरुआत से ले कर अंत तक सिर्फ सुकून की ही खोज की गयी हैं , और इस सुकून ने जिस तरह से कहानी को मोड़ा है वो काफी दिलचस्प हैं |
यह कहानी आप पर किस तरह से जादू कर पाएगी यह में सकती , पर हाँ इसे एक बार ज़रूर पढ़ा जा सकता हैं |
मूल्यांकन : ३/५
लेखक : विक्रांत शुक्ला
कहानी का संक्षेप्त :
दुष्यंत के पास सब कुछ था, वो सब जो एक इंसान को जीने के लिए चाहिए| बस अगर कुछ नहीं था तो वो था ‘सुकून’| अपने माता-पिता की अकस्मात मृत्यु के पश्चात उसके पास तो जैसे जीने की वजह ही नहीं बची थी| उसने एक निर्णय लिया, अपनी देह-लीला समाप्त करने का निर्णय| वो बस खुद को ख़त्म ही करने ही वाला था कि उसके एक मित्र ने उसको जीने की वजह दी| दुष्यंत ने आत्महत्या का इरादा त्याग कर अपने मित्र को उसकी परेशानी से निकालने के उद्देश्य से उसके घर जाने का फैसला किया| दुष्यंत को पता भी नहीं था कि वो ‘कुएं से निकल कर खाई में गिरने’ वाली कहावत को चरितार्थ करने निकल पडा है| उसके मित्र देव के साथ हो रही असाधारण घटनाएं किसी भूत-प्रेत से सम्बंधित लग रहीं थीं और हर गुज़रते पल के साथ दुष्यंत उनमें उलझता जा रहा था| शीघ्र ही दुष्यंत एक ऐसे दोराहे पर खड़ा था जहां से आगे बढना उसके लिए लगभग नामुमकिन हो गया| उसका मुकाबला किसी साधारण आत्मा से नहीं था, उसके सामने कर्ण-पिशाचिनी जैसी शक्ति थी और उसको निलवंती ग्रन्थ से जुडी किवदंतियों को भी सुलझाना था| ‘सुकून’ सिर्फ एक उपन्यास नहीं है, यह एक चमत्कारी यात्रा है जो कर्ण-पिशाचिनी से सम्बंधित कई रहस्यों से पर्दा उठाती है| डर और रोमांच हर पन्ने में शब्दों के माध्यम से आपके दिल और दिमाग पर छा जाने वाला है|
मेरे विचार :
सुकून की तलाश मनुष्य को कभी कभी अनोखे पड़ाव पे ला खड़ी करती है ,और न जाने इस चाह में वो क्या कर जाता हैं | यह कहानी भी एक ऐसे ही इंसान की हैं जो जीवन के नोक झोक से परेशान होकर सुकून की तलाश में अपने दोस्त का सहारा लेता हैं | परन्तु सुकून की चाह उसे कुछ इस तरह मिलती है की उसने स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा | उसकी सुकून की यात्रा वर्णन ही इस उपन्यास में किया गया है|
यह कहानी एक ऐसी कहानी है जिसे हर एक पाठक सम्बन्ध नहीं सर्जन कर सकता | इस कहानी का सम्पूर्ण लाभ वही उठा सकता है जिसे तंत्र वगैरह में थोड़ा विष्वास हो | परन्तु एक ऐसा पाठक जो इन सब बातो में विश्वास ना करता हो ना कभी पड़ा हो , उसके लिए थोड़ा मुश्किल होगा कहानी में डूबना पूर्ण आनंद लेना | उपन्यास का शीर्षक का चयन निश्चित रूप से उपयुक्त है | शुरुआत से ले कर अंत तक सिर्फ सुकून की ही खोज की गयी हैं , और इस सुकून ने जिस तरह से कहानी को मोड़ा है वो काफी दिलचस्प हैं |
यह कहानी आप पर किस तरह से जादू कर पाएगी यह में सकती , पर हाँ इसे एक बार ज़रूर पढ़ा जा सकता हैं |
मूल्यांकन : ३/५
Comments
Post a Comment